• what is rectifier in hindi (rectifier kya hai)
• Half wave reactifier and Full wave reactifier in Hindi
• अर्ध तरंग दिष्टकारी और पूर्ण तरंग दिष्टकारी हिंदी में
व्यावहारिक रूप में AC (Alternative current) का ही उत्पादन किया जाता है, क्योंकि AC वोल्टेज का संचालन तथा वितरण DC की अपेक्षा अधिक सुविधाजनक होता है तथा उसमें ऊर्जा का क्षय भी अपेक्षाकृत कम हो जाता है। प्रायः सभी इलेक्ट्रॉनिक युक्तियों में प्रयुक्त होने वाले वाल्वों तथा ट्रांजिस्टरों के चालन के लिये DC सप्लाई की आवश्यकता होती है। अत: इलेक्ट्रॉनिक युक्तियों को चलाने के लिये AC को DC में बदलने की जरूरत होती है।
"जो यन्त्र प्रत्यावर्ती धारा (A.C.) या प्रत्यावर्ती वोल्टेज को दिष्टधारा (D.C.) या दिष्ट वोल्टेज में बदल देता है उसे दिष्टकारी (Rectifier) कहते हैं, तथा AC को DC में बदलने की प्रक्रिया को 'दिष्टकरण' (Rectification) कहते हैं।"
यह भी देखें:- जेनर डायोड किसे कहते हैं, अभिलाक्षणिक वक्र
अर्द्ध तरंग दिष्टकारी (Half Wave Rectifier)
"ऐसा दिष्टकारी जो प्रत्यावर्ती धारा के प्रत्येक चक्र के केवल आधे भाग को ही दिष्ट धारा में परिवर्तित करता है। अर्ध तरंग दिष्टकारी (Half wave reactifier) कहलाता है।"
Circuit diagram of half wave reactifier |
क्रियाविधि :- निवेशी (input) प्रत्यावर्ती वोल्टेज के पहले अर्ध चक्र के दौरान जब द्वितीयक कुंडली का सिरा S1 धनात्मक होता है एवं दूसरा सिरा S2 ऋणात्मक होता है तो संधि डायोड अग्र अभिनत (forward bias) में होता है अतः इसमें से धारा प्रभावित होती है इस प्रकार लोड प्रतिरोध (RL) में विद्युत धारा सिरे M से N की ओर बहती है।
इसके विपरीत निवेशी प्रत्यावर्ती वोल्टेज के दूसरे अर्थ चक्र के दौरान जब द्वितीयक कुंडली का सिरा S1 ऋणात्मक होता है
तथा S2 का सिरा धनात्मक होता है तो संधि डायोड पश्च अभिनत (reverse bias) में होता है तो इसमें कोई विद्युत धारा प्रभावित नहीं होती इस प्रकार लोड प्रतिरोध (RL) से विद्युत धारा 0 होती है।
अत: निर्गत धारा केवल निवेशी वोल्टता के पहले अर्ध चक्र के दौरान ही प्रवाहित होती है। इस प्रकार यह प्रत्यावर्ती धारा के केवल आधे चक्र का ही दिष्टिकरण करता है जिस कारण इसे अर्ध तरंग दिष्टकारी (Half wave reactifier) कहते हैं।
Output of Half wave reactifier |
अर्ध तरंग दिष्टकारी की दक्षता :- 40.6% होती है।
पूर्ण तरंग दिष्टकारी (Full wave reactifier)
"पूर्ण तरंग दिष्टकारी द्वारा प्रत्यावर्ती धारा के दोनों अर्धचक्रो का दिष्टिकरण किया जाता है।"
इसके परिपथ में जिस वोल्टेज का दिष्टिकरण करना होता है उसे ट्रांसफार्मर की प्राथमिक कुण्डली से जोड़ देते हैं जबकि ट्रांसफार्मर की द्वितीय कुंडली के दोनों सिरों को pn संधि डायोड से जोड़ देते हैं।
Circuit diagram of Full wave reactifier |
कार्यविधि:- जब ट्रांसफार्मर की प्राथमिक कुंडली से Input Voltage जिसका दृष्टिकरण करना है आरोपित की जाती है तो पहले आधे चक्र में द्वितीयक कुंडली का सिरा S1 धनात्मक होने के कारण संधि डायोड D1 अग्र अभिनत मे होता है जब कि सिरा S2 ऋणात्मक होने के कारण संधि डायोड D2 पश्च अभिनत में होता है इस प्रकार प्रथम आधे चक्र में संधि डायोड D1 के कारण धारा बहने लगती है।
जबकि द्वितीयक अर्धचक्र में द्वितीय कुंडली का सिरा S1 ऋणात्मक होगा जिससे D1 पश्च अभिनत में होगा एवं सिरा S2 धनात्मक होने के कारण संधि डायोड D2 अग्र अभिनति में होगा। अतः संधि D2 के कारण धारा बहने लगेगी।
इस प्रकार यह चक्र लगातार चलता रहता है तो इसे पूर्ण तरंग दिष्टकारी कहते हैं।
Output of Full wave reactifier |
0 Comments